Deep Ocean Mission eligibility and benefits and criteria
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Deep Ocean Mission 2024 -2025.
Deep Ocean Mission स्कीम भारत सरकार दवारा चलाइगई है ‘गहरे समुद्र मिशन’ को हरी झंडी दे दी है। काफी समय से इस पर विचार चल रहा था।
बजट में इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 4,000 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया था। इस मिशन के तहत समुद्र की गहराइयों में जाया जाएगा .
समुद्र में 6,000 मीटर नीचे कई प्रकार के खनिज हैं। इन खनिजों के बारे में अध्ययन नहीं हुआ है। इस मिशन के तहत खनिजों के बारे में अध्ययन एवं सर्वेक्षण का काम किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा जलवायु परिवर्तन एवं समुद्र के जलस्तर के बढ़ने सहित गहरे समुद्र में होने वाले परिवर्तनों के बारे में भी अध्ययन किया जायेगा .
हिंद महासागर में भारत की मौजूदगी बढ़ेगी। ध्यान देने वाली बात है कि अभी चीन, कोरिया और जर्मनी जैसे देश हिंद महासागर में सक्रिय हैं।
चीन ने कुछ समय पहले अपनी ताकत दिखाने के लिए ही मारियाना ट्रेंच के तल पर खड़ी अपनी नई मानव निर्मित सबमर्सिबल की तस्वीरों को लाइव स्ट्रीम किया था .
Deep Ocean Mission समुद्रयान मिशन का उद्देश्य .
“समुद्रयान का उद्देश्य गहरे समुद्र में दुर्लभ खनिजों और अन्य खोज के लिए तीन इंसानों को भेजना है।
समुद्र के अंदर ये गैस हाइड्रेट्स, मैग्ननीज नॉड्यूल, पॉलिमैटिक और कोबाल्ट क्रस्ट जैसे संसाधान को खोजने के लिए भेजा जाएगा .
जानकारों के अनुसार समु्द्र में ये सभी चीजें 1000 से 5000 मीटर की गहराई में पाई जाती हैं।
याद रहे पनडुब्बियां केवल समुद्र के 300 या 400 मीटर तक गहराई तक जाती है, भारत का ये समुद्रयान समुद्र की 6000 मीटर की गहराई तक जाएगा .
Official Website: https://moes.gov.in/schemes/dom
Deep Ocean Mission मिशन:
यह परियोजना आमतौर पर 1000 से 5500 मीटर की गहराई में पाए जाने वाले पॉलीमेटेलिक मैंगनीज नोड्यूल्स, गैस हाइड्रेट्स, हाइड्रोथर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट जैसे संसाधनों की खोज पर केंद्रित है।
भारतीय अर्थव्यवस्था
- क्षमता विकास: ‘डीप ओशन मिशन’ योजना भारत को हिंद महासागर बेसिन में संसाधनों का दोहन करने की क्षमता विकसित करने में सक्षम बनाएगी।
- आईओबी भंडार में लोहा, मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट जैसी धातुओं के भंडार हैं।
- खनिज: हिंद महासागर में कोबाल्ट, जिंक, मैंगनीज और दुर्लभ मृदा पदार्थों सहित खनिजों की प्रचुर मात्रा पाई जाती है।
- स्मार्ट फोन, लैपटॉप और कार के पुर्जे आदि बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उद्योग के लिए इन खनिजों की आवश्यकता होती है। इससे मेक इन इंडिया पहल में मदद मिल सकती है।
- ऊर्जा संसाधन: हिंद महासागर में मौजूद मुख्य ऊर्जा संसाधन पेट्रोलियम और गैस हाइड्रेट्स हैं। पेट्रोलियम उत्पादों में मुख्य रूप से अपतटीय क्षेत्रों से उत्पादित तेल शामिल है
For more Information : https://www.yojanaschemes.in/union-budget-2024-25-key-highlights-summary-importance/
- गैस हाइड्रेट्स पानी और प्राकृतिक गैस से बनी असामान्य रूप से सघन रासायनिक संरचनाएँ हैं।
- इन संसाधनों के साथ गहरे समुद्र में मिशन ज्वारीय ऊर्जा और संसाधनों का दोहन करने में मदद करेगा।
- सतत विकास: हिंद महासागर के समुद्री संसाधन भारत की आर्थिक वृद्धि की रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करेंगे और 2022 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में मदद कर सकते हैं.
- रोज़गार सृजन: इससे कई लोगों को रोज़गार और बेहतर आजीविका मिलेगी। इससे समावेशी विकास में मदद मिलेगी।
- जलवायु परिवर्तन: यह महासागर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करने में मदद करेगा। इससे भारत को जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली किसी भी आपदा के लिए तैयार रहने में मदद मिलेगी।
इस मिशन से आत्मनिर्भर भारत को मजबूती मिलेगी। अगले 5 सालों में इस मिशन पर करीब 4077 करोड़ रुपये का खर्च होगा, जिसे अलग-अलग चरणों में किया जाएगा।