Kisan Uday Pani Yojana 2024
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Kisan Uday Pani 2024
Kisan Uday Pani. इस स्कीम भारत सरकार दवार चलाई गई है. इसमें सभी प्रकार की पानी सुविधा दी ज़ाएगी जिससे लोग खेतों को पानी दे पाएगें. इस स्कीम में सभी प्रकार की सुविधा दी ज़ाएगी.इस कमांड क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन (सीएडी और डब्ल्यूएम); (ईई) सतही लघु सिंचाई (एसएमआई); (ईयी) जल निकायों की मरम्मत, नवीनीकरण और बहाली (आरआरआर); और (ईव) भूजल (जीडब्ल्यू) बुंदेलखंड की जिस जमीन को आज सूखा और बंजर मानते हैं, कभी वहां चारों तरफ हरियाली से भरे खेत-खलिहान लहलहाते थे. धीरे-धीरे ये इलाका भी पानी की कमी से जूझने लगा और फिर किसान भी खेती छोड़कर दूसरी गतिविधियों में जुट गए हैं.
भारत का कुल क्षेत्रफल 32.8 करोड़ हेक्टेयर है, जिसमें से वर्तमान में 16.2 करोड़ हेक्टेयर (51 प्रतिशत) जमीन पर खेती की जाती है। जबकि लगभग 4 प्रतिशत भूमि पर चारागाह, 21 प्रतिशत भूमि पर वन तथा 24 प्रतिशत भूमि बिना किसी उपयोग (बंजर) की है.
अधिक जानकारी के लिए : https://pmksy.gov.in/
इस योजना के अनुसार सभी राज्यों को उतना हू पानू दिया ज़ाएगा जितना प्रयोग में लाया ज़ाये. जिसकी मदद स्दे आप लोग इसका लाभ ले पाएगें . खेतों को भी नियमित रूप से पानी देने का प्रस्तब दिया गया है .
भारत में अधिकतर कृषि योग्य क्षेत्रों में सतही सिंचाई होती है। इसमें प्रमुख है नहरों से नालियों द्वारा खेत में पानी का वितरण किया जाना तथा एक किनारे से खेत में पानी फैलाया जाना है।
इस प्रणाली में खेत के उपयुक्त रूप से तैयार न होने पर पानी का बहुत नुकसान होता है। यदि खेत को सममतल कर दिया जाए तो इस प्रणाली में भी पानी की बचत की जा सकती है। आजकल लेजर तकनीक से किसान अपना खेत समतल कर सकते हैं। इससे जलोपयोग दक्षता में वृद्धि होती है। फलस्वरूप फसलों की पैदावार बढ़ जाती है।
Kisan Uday Pani फव्वारा विधि के लाभ
इस विधि में सतही सिंचाई विधियों की तुलना में जल प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है। फसल उत्पादन के लिये अधिक क्षेत्र उपलब्ध होता है क्योंकि इस विधि में नालियाँ बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। पानी का लगभग 80-90 प्रतिशत भाग पौधों द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है, जबकि पारंपरिक विधि में लगभग 30-40 फीसदी पानी ही इस्तेमाल हो पाता है। ज़मीन को समतल करने की ज़रूरत नहीं होती, ऊँची-नीची और ढलान वाले स्थानों में भी इससे आसानी से सिंचाई की जा सकती है। फसलों में कीटों व बीमारियों का खतरा कम होता है.
पानी की स्कीम के विधि के लाभ .
1 इस विधि से सिंचाई करने पर परंपरागत विधि की तुलना में लगभग आधा पानी खर्च होता है,क्योंकि पानी सतह पर बहकर मृदा में जड़ क्षेत्र से नीचे नहीं जाता।
2 खेत में खरपतवार कम होते हैं, इसलिये श्रम की आवश्यकता भी कम होती है।
3 जल्दी-जल्दी सिंचाई करने के कारण जड़ क्षेत्र में अधिक नमी रहती है जिससे लवणों की सांद्रता पेक्षाकृत कम रहती है।
4 यह सभी प्रकार की मृदाओं के लिये उपयोगी है, क्योंकि पानी को मृदा के प्रकार के अनुसार नियोजित किया जा सकता है।
5 भू-क्षरण की संभावना बेहद कम होती है तथा मृदा में नमी की कमी भी नहीं रहती है, जिसका पौधों की वृद्धि और विकास पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
Kisan Uday Pani (Drop Method)
इस स्कीम में सिंचाई की टपक विधि 1960 के दशक के अंत में ऑस्ट्रेलिया व उत्तरी अमेरिका में हुआ। इसके बाद विधि में पाइप लाइन द्वारा पौधों की जड़ों के आस-पास सतह या उप-सतह पर ड्रिपर्स के माध्यम से आवश्यकता नुसार पानी दिया जाता है। इस प्रणाली में बूँद-बूँद द्वारा फसलों व बागवानी पौधों की सिंचाई की जाती है .
इस विधि से सिंचाई करने पर लगभग 50 फीसदी पानी की बचत होती है। साथ ही फसल उत्पादन में वृद्धि, खरपतवारों में कमी और फसल .
भारत देश में कुल 200.8 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसमें से मात्र 95.8 मिलियन हेक्टेयर भूमि सिंचित है। यह कुल क्षेत्रफल का केवल 48 फीसदी है। ऐसे में 52 फीसदी असिंचित कृषि भूमि में उन्नत कृषि हेतु आवश्यक जल की आपूर्ति कराना भी चुनौती पूर्ण है।
सिंचाई की आधुनिक विधि क्या है?
1 चेन पंप
2 पुली प्रणाली (मूट)
3 लीवर सिस्टम (रहट)
4 ड्रिप सिंचाई
सूक्ष्म सिंचाई तकनीक के लाभ यह है कि यह केवल आवश्यक पौधे की सिंचाई करता है, और खरपतवार आदि की सहायता नहीं करता है, और इसका उपयोग उर्वरक और कुछ अन्य उपचारों को आवश्यकतानुसार, सही और आसानी से वितरित करने के लिए किया जा सकता है। यह हवा और अन्य वाष्पीकरण कारणों से होने वाले नुकसान को भी कम करता है।
सूक्ष्म सिंचाई के नुकसान यह हैं कि साफ पानी की एक प्रमुख आवश्यकता है, जिसका मतलब है कि जटिल स्वचालित फिल्टर और सफाई तंत्र, जिसमें बैक वॉश से बचा हुआ कुछ पानी बर्बाद हो सकता है, आदि।
इसी का नतीजा है कि आज बुंदेलखंड के कई इलाकों में किसान वापस खेती की ओर रुख कर रहे हैं. इन दिनों बुंदेलखंड क्षेत्र में बौछारी सिंचाई योजना चलाई जा रही है, जिसके तहत आवेदन करने वाले किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी पर स्प्रिंकलर सिंचाई सिस्टम उपलब्ध करवाया जाएगा.