क्या है किसान बिल 2020? किसान क्यूँ कर रहे हैं इसका विरोध?
किसान बिल 2020 //कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल-2020 //आवश्यक वस्तु संशोधन बिल // मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल -2020: //किसानों द्वारा किसान बिल का विरोध क्यूँ //
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क्या है किसान बिल 2020 ?
किसान बिल 2020 आज हर तरफ़ एक ही चीज़ चल रही है वो है किसानों का विरोध . कारोना महामारी भी इस विरोध को रोक नही पाई है. हम कितने दिनों से किसानो के धरने ओर विरोध प्रदर्शन की खबरें सुन रहे थे और जब उसकी कोई भी सुनवाई नही हुई तो अब किसान दिल्ली जा पहुँचे हैं . आपने दिल्ली पंजाब का बॉर्डर और हरयाणा दिल्ली का सिंघू बॉर्डर सील होने की खबर तो सुनी ही होगी.
अब रोज़ रोज़ खबरों में एक ही मुद्दा सुन कर किसान बिल 2020 बारे में जानने की लालसा होना स्वाभाविक है की आख़िर सरकार ने ऐसे क्या परिवर्तन किए हैं जिससे किसान भाई इतने परेशान हैं की कारोना के दौर में भी विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं.
तो ऐसा भी क्या हो गया की बॉर्डर सील कर दिए गये यातायात प्रभावित हो रहा है सरकार को भारी मात्रा में police तेनात करनी पड़ी और तो और और आँसू गोले का भी प्रयोग करना पड़ा. तो आइए इस लेख में हम आपको ये पूरा किस्सा आसान सी भाषा में बताते हैं ताकि पता तो चले की आख़िर मसला है क्या ?
किसान बिल 2020 :
सारा मसला 3 बिल को लेकर है जिसे संसद के सत्र में पास करा कर सरकार क़ानून बनाना चाहती है किंतु किसान इसका विरोध कर रहें हैं. ये तीन बिल निम्नलिखित हैं.
1.The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation ordinance2020) bill.
कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल-2020
2.The Farmers(Empowerment and Protection)Agreement of Farm assurance and farm services ordinance,2020
मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल -2020
3.The Essential Commodities(Amendment ) ordinance Bill 2020
आवश्यक वस्तु संशोधन बिल
कहाँ से हुई शुरुआत ?
इसकी शुरआत हुई थी जून के महीने में 5 जून 2020 को जब लॉकडाउन के समय सरकार इन बिलों को अध्यादेशके रूप में लाई थी.अध्यादेश का मतलब जब सरकार emergency में कोई क़ानून लाना चाहती है जिससे जनता का भला हो और उस समय संसद का सत्र ना चल रा हो ऐसे में सरकार temporary ऑर्डर के रूप में अडयदेश निकालती है जो की 6 महीने तक मान्या होता है.इसके बाद संसद का सत्र आने पर बिल बना कर इसे पास करा कर क़ानून बनाया जा सकता है.
अब सरकार ने इन तीनो बिल को संसद में पास करवा के क़ानून बना दिया जिसका विरोध किसान कर रहे हैं आइए हम आपको इन बिल को विस्तार में बताएँ तथा किसानों के विरोध का कारण भी बताएँ.
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना 2020
The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation ordinance2020) bill.
कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल-2020:
इस बिल के अनुसार अगर कोई किसान राज्य सरकार की मॅंडी के बाहर अपनी फसल बेचना चाहता है तो वो ऐसा कर सकता है. इस खरीद या बेच पे कोई टॅक्स उसे राज्य सरकार को नही देना होगा.
अभी तक की व्यवस्था के अनुसार किसान को अपनी फसल मॅंडी में बेचने पर कुछ निर्धारित कर राज्य सरकार को देना पड़ता था जिसका कुछ हिस्सा आड़तियों को जाता था कुछ राज्य सरकार को. अब इस बिल के अनुसार किसान अपनी मर्ज़ी से बिना किसी प्रकार के कर भुगतान के अपनी फसलें अपनी मर्ज़ी से अपने दाम पे मॅंडी से बाहर बेच सकते हैं.
सरकार का मत :
1.इस बिल के पक्ष में सरकार का कहना है की इस बिल से किसानों को अत्यधिक लाभ होगा.
2.सरकार के अनुसार इस बिल से किसान अपनी फसल को बढ़िया दाम पे अपनी मर्ज़ी से पूरे देश में कहीं भी किसी को भी बेच सकता है.
3.जिस पर उसे कोई कर भी नही देना होगा. इससे उन्हें फसल के अचे दम मिल सकते हैं.
4.इसके ज़रिए एक देश एक बाज़ार की नीति बनाना चाहती है.
5इससे किसानों को उनकी फसल ओर मेहनत का बढ़िया दाम मिलेगा और बीचोलियों का हस्तक्षेप समाप्त होगा.
किसानों के विरोध का मत:
1.मॅंडी के बाहर फसल सस्ते दामों पर बिकने पर सभी लोग बेर ही समान बेचना चाहेंगे जिसके परिणामस्वरूप देर सवेर ये मण्दी बंद हो जाएँगी.
2. मॅंडी बंद होने पे इनके द्वारा कमिशन के रूप में रोज़ी रोटी कमाने वाले बीचोलियों को भयंकर नुकसान होगा.
3.बीचोलियों के आभाव में मंदी के बाहर competetion की स्थिति में किसानों को अपनी फसलों के सही दाम नही मिल पाएँगे.
4. बड़े किसान ज़्यादा मार्जिन दे पाएँगे जितना की एक छोटा किसान नही दे पाएगा ऐसे में उनकी फसलों की सही कीमत उन्हें नही मिल पाएगी.
5. फसल की कीमत स्वयं निर्धारित करने की स्थिति में किसानों को नुकसान होगा.
The Farmers(Empowerment and Protection)Agreement of Farm assurance and farm services ordinance,2020
मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल -2020:
इस बिल में किसान अपनी फसल का सौदा contract के आधार पर कर सकते हैं . यानी की वे अपनी फसल की पैदावार से पहले ही तय कीमत पर बेचने की सुविधा प्रदान करता है.
सरकार का मत:
1. इस बिल से सरकार के मुताबिक किसानों को शोषण और इस भय से की उनकी फसल निकेगी भी या नही या सही दाम पे बिकेगी या नही इस भय से मुक्ति दिलाएगा.
2. इससे किसानों को अपनी फसल के पैदावार के बाद उसके खरीदार ढूँडने के लिए कहीं जाने की आवश्यकता नही है.
3.किसानॉनो का जोखिम कम होगा.
किसानों का मत:
1.किसानों को सवाल है की यागी वे कांट्रॅक्ट कर लेते हैं तो फसल के खराब होने की स्थिति में क्या होगा.
2. फसल की कीमत का आकलन इतना समय पहले कर लेने से उन्हेंफसल के सही दाम नही मिल पाएँगे.
3. फसल की केमट का आकलन उसकी क्वालिटी पे होता है जो उनके पैदा होने के बाद ही निर्धारित की जा सकती है, कुनकी वह कई कारणों जैसे की पानि तथा अन्या कई चीज़ों पर निर्भर करती है.
The Essential Commodities(Amendment ) ordinance Bill 2020
आवश्यक वस्तु संशोधन बिल :
इस बिल में सरकार संशोधन के द्वारा आवश्यक वस्तुओं की सूची से प्याज़, अनाज, डाल, खाद्या तेल, आलू जैसे वस्तुओं को हटाया जा रहा है.
यह बिल कालाबाज़ारी पर रोक लगता था पहले के समय में बड़े व्यापारी आवश्यक चीज़ों को सस्ते दामों मे खरीद कर अपने पास जमा कर के रख लेते थे और जब बाज़ार में ऐसे चीज़ो की कमी होती थी तब वह जमा की हुई चीज़ो को महँगे दाम में बेचते थे.
इसी कालाबाज़ारी पर रोक लगाने के लिए आवश्यक वस्तु बिल बनाया गया था जिसके अनुसार आवश्यक चीज़ों की जमाखोरी नही की जा सकती थी. किंतु अब सरकार इन आवश्यक चीज़ों की सूची से प्याज, आलू,डाल,खाद्या तेल अनाज इत्यादि को हटा रही है.
सरकार का मत:
सरकार के अनुसार इन आवशयक् चीज़ों की सूची से केवल उन्ही चीज़ो को हटाया जा रहा है जिनका उत्पादन ज़रूरत से ज़्यादा है. इसलिए इन्हें जमाखोरी ना करने की लिस्ट से हटाया जा रहा है क्यूंकी इनका उत्पादन ही आवश्यकता से ज़्यादा है.
किसानों का मत:
1.किसानों के अनुसार अगर इन चीज़ों की जमाखोरी को क़ानूनी तौर पे मान्यता दे दी गयी तो बड़े व्यापारे इन्हें कम दाम पर किसानों से ख़रीदेंगे.
2. इस समान का जमा कर के बाद में इसे बहुत ही उँचे दामों पर बेचेंगे जिससे की पहले वाली कालाबाज़ारी शुरू हो जाएगी.
3. खरीददार बहुत ही ज़ाडा प्रभावित होगा क्यूंकी बड़ा व्यापारी उन्हें बहुत ही महनगे दामों में ये बेचेगा.
अब इस सारे मुद्दे में कौन कितना सही है कितना ग़लत ये आपकी और हमरी सबकी अपनी समज और बूझ है. अभी तक की स्थिति में सरकार किसानों से इस बारे में बात करने को मान तो गयी है. अब देखते हैं की इस किसान बिल 2020 क्या हाल निकलेगा.
किसान बिल 2020 के चलते केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर जी ने भी अपना इस्तीफ़ा दे दिया है क्यूंकी वे इस बिल का समर्थन नही करती हैं. अब यह मामला काफ़ी हद तक बढ़ चुका है जैसे की पंजाब और हरयाणा के किसान दिल्ली पहुँच चुके हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मुद्दे पे आगे की जानकारे हम आपको समय समय पर देते रहेंगे.